लेखक—सुधीर कुमार
लोकसभा चुनाव परिणाम साबित कर रहा है कि वर्तमान दौर में नरेंद्र मोदी लोकप्रिय नेता बन चुके हैं। गौरतलब है कि एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली है। अगर बिहार की बात करें तो राजद का खाता तक नहीं खुला। भारत के चर्चित लोकसभा सीट सीवान में लगातार तीसरी बार गैर राजद सांसद को जीत मिली है।
एक समय था कि सीवान लोकसभा पर कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था। लेकिन बाद में जनसंघ के तेजतर्रार नेता जनार्दन तिवारी ने यह सीट कब्जा कर लिया। जनार्दन तिवारी के बाद यह सीट बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन के कब्जे में चली गई। शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब लगातार तीन बार से चुनाव लड़ रही हैं लेकिन लगातार तीसरी बार उन्हें हार मिली है। चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार कविता सिंह को 447171 वोट मिले जबकि राजद उम्मीदवार हीना शहाब को 330363 लाख वोट मिले। यानी कुल 1,16, 808 लाख वोट से कविता सिंह को जीत मिली है। लेकिन सवाल है कि इस हार के कारण क्या हैं।
सीवान में राजद के हार के कारण
उम्मीदवार— हीना शहाब की हार के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण उनके पति शहाबुद्दीन का इतिहास। शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद हर लोक सभा चुनाव में नये वोटर जुड़ रहे हैं, ये वो वोटर हैं जो शहाबुद्दीन के कार्यकाल को देखे नहीं हैं।
शहाबुद्दीन विरोधी उनको हिंदू विरोधी चेहरा के रुप में नये वोटर के सामने प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं। आज का युवा सोशल मीडिया से ज्यादा प्रभावित हैं और जैसा कि हम जानते हैं कि सोशल मीडिया पर युवा ज्यादा एक्टिव हैं। सीवान राजद अगर इस सीट पर जीतना चाहती हैं तो अपने उम्मीदवार को बदल दे और इतना ध्यान रखे कि शहाबुद्दीन परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं जीत सकता है। राजद के लिए बेहतर यही है कि वह कड़ा फैसला लेकर लगातार 3 बार हारने वाली हीना शहाब को अब सीवान लोकसभा से उम्मीदवार न बनाये।
हीना शहाब के साथ समस्या यह भी है कि जब तक यह चुनाव लड़ेंगी तब तक एनडीए वोटो का ध्रुवीकरण करने में सफल रहेगी। सीवान राजद को ऐसा उम्मीदवार चाहिए जो राष्ट्रवाद और जाति समरसता को अच्छी समझ रखता हो। लोहा की काट लोहा ही हो सकता है। राजद युवा को मौका दे तो वह ज्यादा प्रभावी रहेगा।
सवर्ण आरक्षण का विरोध – सवर्ण आरक्षण का विरोध खुले तौर पर राजद ने किया। राजद को लगा की सवर्ण आरक्षण का विरोध करके वह आरक्षित जातियो की गोलबंदी कर लेगा और इसको वोट में बदल देगा किंतु यह सफल नहीं रहा। राज्य सभा में राजद के मनोज झा ने यहां तक कह दिया कि गरीब ब्राह्मण होता ही नहीं है इसलिए गरीब ब्राह्मण कहानियां बनाई गईं। सीवान में सवर्ण भी राजद उम्मीदवार होने के कारण हीना शहाब को वोट नहीं किया। राजद द्धारा सवर्ण आरक्षण का विरोध सिवान में हिना शहाब के लिए महंगा पड़ गया।
यादव वोट का भी न मिल पाना – शहाबुद्दीन को कभी जमकर वोट यादवों का मिलता था लेकिन लगातार तीन बार से लोकसभा चुनाव में राजद को यादव वोट बड़े पैमाने पर नहीं मिल पा रहा है। हालांकि अबकी बार ओमप्रकाश यादव के टिकट कटने पर कुछ यादव वोट राजद को मिला लेकिन तो भी बड़ा हिस्सा जदयू को वोट दिया।
ब्राह्मण – मोदी के कट्टर समर्थक 2006 से ही ब्राह्मण रहे हैं। यहां तक की गैर भाजपाई दल ब्राह्मण को अच्छी खासी संख्या में टिकट भी नहीं दिये क्योंकि वह जानते हैं कि ब्राह्मण भाजपा के वोट बैंक हैं। बिहार में भाजपा को छोड़कर किसी पार्टी ने ब्राह्मणों को टिकट तक नहीं दिया। भाजपा ने भी दो ही टिकट ब्राह्मणों को दिया। सीवान जब राजद का गढ हुआ करता था तब भी संघ और भाजपा में ब्राह्मण नेता ही राजद के विरोध में प्रचार किया करते थे। हालांकि इससे भी इंकार नहीं कर सकते हैं कि ब्राह्मण शहाबुद्दीन के भी समर्थक हुआ करते थे। सीवान में अजय सिंह के समर्थको द्धारा ब्राह्मणों को खूब गाली दी गयी जो चुनाव जीत के बाद भी जारी है। लेकिन इसके बाद भी ब्राह्मणों की अच्छी खासी संख्या ने नरेन्द्र मोदी के नाम पर जदयू को वोट किया।
ब्राहम्ण आसान टारगेट
दरअसल, ब्राह्मण आसान टारगेट हैं, इसलिए इन्हें गाली देना आसान हैं। अजय सिंह के समर्थक यह जानते हैं कि ओमप्रकाश यादव और उनके पुत्र हैप्पी ने खुलकर जदयू को समर्थन नहीं किया तो भी यह गाली नहीं दे सकते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि यादव पार्टी बैरियर तोड़ कर विरोध करेंगे। ओमप्रकाश यादव और हैप्पी को गाली देने का मतलब है कि राजद, जदयू, माले और भाजपा के यादव भड़क जाएंगे। कई राजद ब्राह्मण नेताओं के खिलाफ साजिश भी चल रही है।
अब राजद क्या करे
अगर राजद को मुस्लिम समाज के बीच जगह बरकरार रखना है तो उन्हें चाहिए कि हीना शहाब को राज्यसभा में भेजे। राज्यसभा में हीना शहाब मुसलमान समाज की आवाज उठा सकती हैं। बतौर प्रखर वक्ता हीना शहाब राज्यसभा में महिला शक्ति का भी उदाहरण पेश करेंगी। इसके अलावा सवर्ण का विरोध बंद करना चाहिए।
हिना साहब के पति बाहुबली है तो अजय सिंह व् काम नही है उन्होंने हिन्दू मुस्लिम समुदाय को अलग अलग करने है काम किया ।आपने वह बयान देखा ही होगा एक वीडियो में वह कह रहे थे की सिवान की जनता को किसके तरफ जाती है बुरखे वाली के तरफ या हिंदुस्तान और कुछ बोले थे यद् नही आ रहा है पर उन्हीने तुस्टीकरण की राजनीति की है।
और मनोज झा एक बात सही बोले थे की जाति में गरीबी नही है गरीबी में जाति है ।